Sunday, August 15, 2010

ख्याल

तुम............... पूरा हो गया सुनेहरापन
एहसास ...............भूल गए हर गम
वो हवाओ मै एहसास तुम्हारी हर बात
मुझे देख तुम्हारी बातों मै वो बचपन
गहरी आखों मे लहराती मुस्कुराहट
वो बेमान कदमो की शराफत
वो रोना लोगों पर चिल्लाना
मेरी बातों पर मुस्कुराना
तुम्हारा दोस्तों संग चुटकिया करना
वो बातों मे कहें शब्दों को छुपाना
मेरी तुम्हारे लिये चिंता को आजमाना
मेरी शर्ट को सुबाह - सुबाह गोर से पढना
मेरे मुड को कल्पनाओ मे गड़ना
वो काम के लिये तुम्हारी तड़प
बातों- बातों मे किसी से हुई झड़प
वो किसी को दिलासा ,खुद परेशान होना
दूसरो की ख़ुशी मे खुश तो कभी झूठा तुम्हारा रोना
वो तुम्हारा -हमारा आमने -सामने आना
वो मेरा लेफ्ट तो तुम्हारा दाये मुड जाना
वो आखरी सीढ़ी से किसी को ढूँढना
लोगों को दिखाना की ये सब साधारण है
एकांत मे ढूँढना की इस मुस्कुराहट का क्या कारण है

पर कभी

ये साधारण ही लगता है
कभी- कभी आखों मे सूनापन झलकता है
दिमाग का हावी होना दिल पर
दिल को खटकता है
दिनों तक न हुई बात
खामोश मुलाकात
कुछ छूट जाने का डर
इच्छाओ के डूब जाने का डर
कभी- कभी अकाल सा महसूस होता है
जैसे मानो कोई भी नहीं
पर कुछ तो है जो आखे बंद करने की इजाजत नहीं देता
क्योकि एक सुन्दर ख्याल के साहारे भी वक़्त कट जाता है
और बिन कहें भी खयालो को पढ़ा और समझाया जाता है

2 comments:

M VERMA said...

पर कुछ तो है जो आखे बंद करने की इजाजत नहीं देता
क्योकि एक सुन्दर ख्याल के सहारे भी वक़्त कट जाता है
सुन्दर खयाल या सुन्दर ख्वाब जिन्दगी में अहम हिस्सा रखते हैं, क्योकि ख्वाब हैं तो यकीनन एक दिन हकीकत भी होगा.
सुन्दर रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

bahut sunadr ..