Thursday, August 20, 2009

संशय

वेध्यार्थी एक तपस्वी है
कभी कभी मार्ग से भटक
सही ग़लत मे उलझ कर रह जाता है
पूछता है बताता है
हर रोज अपनी ही एक कहानी बनाकर
उस पर सवाल उठाता है
खुश होता है तडपता है
हँसते हुए रोता है
कुछ क्षद व्यव्हार पागल जेसा होता है
वेदाम्बना यह है की पागलपन का उस पागल को भी पता होता है
हर तथ्य मे संशय होता है
हर उतर मे एक प्रशन होता है
रात चिंता और दिन प्रयास होते है
हर प्रयास मे चिंता के भाव होते है
और चिंता से प्रयास उदास होते है
वेद्यार्थी उन क्षदो मे समझता नही
की कोण सा रास्ता मंजिल की और है
किस रास्ते की किस्मत रात
और किस मंजिल के रास्तो पर भोर है
पर सच्चा वेद्यार्थी इस च्करावयूओ को तोड़ता है
और भ्रम के सागर से पार सरस्वती से मार्गो को जोड़ता है !!

Wednesday, August 19, 2009

अपराधिक विचारधारा

उठो चलो खड़े हो जाओ कहना आसान है
जिंदगी की दुकान मे सुख मैन्यु पर दुःख दर्द सामान है

शुरूआती सहारा नही देता कोई किसी को
राह के प्रथम पग को देख कहते है की ग़लत इंसान है

क्यो शब्दों को बचा कर रखते है
क्यों संस्कारो को चुप रहने या बड़बोले पन से परखते है
क्यों नही सोचते है अपने दो शब्द
लोगो को सही दिशा दिखा सकते है
किसी की गलती की समीक्षा
किसी के अपराध पर मजा
जो समझते हर अपराधी को पिता , भाई जैसा इंसान नही
वो विचारधारा के आधार पर अपराधी होने से डरते है!!

!!आख़िर क्यों लोग सरस्वती को सिर्फ़ अपनों के बीच रखते है!!

Monday, August 17, 2009

अंधी दुनीया संग अँधा मन

रंगों की रंगीन मिजाजी
कभी कभी सूनापन याद दिलाती है

और शोर-शराब की शाम भी
रूह को बेरंग कर जाती है !

अगर बात मुझ से हट कर हम तक आए

तो जिंदगी कितनी आसान हो जाए

पर परन्तु ही रोशनी को निगल जाते है
पसंद पुच कर लोग लालच दिखाते है
एक से सो और सो से हजार हो जाते है

अरे हिमत तो यमराज की नही हाथ लगाने की
पर बुरे वक्त में अपनों के लिए हम बेचारे हो जाते है

आसानी से आसमान उठ सकता है
जमी पर खड़े हो अगर हम
कमर झुका कर झूठा ही खाना पड़ता है
तो फिर क्या कीडे और क्या हम !!

मायूसी

आज फिर स्याही बिछाई है , क्योकि किस्मत फिर कयामत बन आई है !

अगर बोझ दिल की जगह सर पर हो तो सही
अगर दिल दब जाए बोझ से तो बोघ जिंदगी नही लाशे ही उठाती है !

अब तो मोजो के नजदीक डर लगता है
पर दूर खड़ी जिंदगी इन्ही मोजो सी मोज उठती है !

जब तक रगों से रहे मिजाजे दोस्ताना सुकू देते है
और जब लगे हर रंग बदसूरत तो यही रंग खुशी के दिए बुघाते है मुस्कुराते है !